Mark Zukerberg Biography in hindi || मार्क जुकर्ब्ररग कि जिवनी

 दोस्तो आज की यह बुक समरी ऐसे इंसान के बारे में है जिसने फेसबुक जैसी सोशल साइट बनाई जिसे दुनिया मे लगभग हर इंसान इस्तेमाल करता है | इस बुक का नाम है "मार्क जुकरबर्ग" |

हेलो दोस्तो आपका  एक बार फिर हमारी ब्लॉग साइट  हिंदी बुक समरीज में स्वागत है जहाँ पर आप फेमस बुक की समरीज पढ़ते है और अपनी लाइफ में सक्सेस की तरफ अपना कदम बढ़ाते है | अगर आप बहुत सारे प्रोडक्ट के रिव्यु के बारे मे जानना चाहते है तो आप हमारी दूसरी ब्लॉग साइट  प्रोडक्ट कंसलटेंट पर जा सकते हो।

मार्क जुकरबर्ग की जिंदगी पर एक नजर



क्या आपने कभी सोचा है कि वर्ड फेमस टेक entrepreneur मार्क जुकरबर्ग  के पास फेसबुक का बिलियन डॉलर आईडिया कैसे आया होगा ? सिर्फ 2020 में फेसबुक का रेवेन्यू 86 बिलियन डॉलर था। मार्किट में बहुत सारे नए सोशल मीडिया एप आने के बाद भी , फेसबुक ने अब भी लगातार सबसे पॉपुलर सोशल मीडिया वेबसाइट का ताज बरकरार रखा है। फेसबुक हमारी ऑनलाइन पहचान बन चुकी है। 

read this  ->the 48 laws of power book sumerry in hindi

the secret book sumerry in hindi

 > rich dad poor dad book sumerry in hindi  

इमेजिन कीजिये आपका बचपन का सपना हावर्ड जैसी नामी गिरामी यूनिवर्सिटी में पढ़ने का था , और आपका सपना सच हो जाता है। आप दुनिया की सबसे फेमस यूनिवर्सिटी में एक ऐसे सब्जेक्ट को पढ़ने के लिए जाते है जो हमेशा से आपका फैशन रहा है। फिर एक दिन ऐसी बात होती है जिससे आपको अपने ड्रीम यूनिवर्सिटी को छोड़ना पड़ता है। 

मार्क जुकरबर्ग के साथ ऐसा ही हुआ था और तभी मार्क ने फेसबुक बनाने का सफर शुरू किया। आज हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ड्रॉपआउट , मार्क जुकरबर्ग  , फेसबुक के सीईओ और फाउंडर है और उनका नेटवर्थ 114 बिलियन डॉलर है। एक यूनिवर्सिटी ड्रॉपआउट से एक टेक मैग्नेट बनने तक कि उनके मजेदार सफर के बारे में जानने के लिये आगे पढ़ें। 

शुरुवाती जिंदगी 



14 मई 1984 को व्हाइटप्लेन्स , न्यूयॉर्क में मार्क जुकरबर्ग का जन्म हुआ था। उनकी फैमिली पढ़ी लिखी थी। उनके पिता एडवर्ड जुकरबर्ग एक डेंटीएस्ट थे और उनकी माँ , केरन थी। मार्क और उनकी तीन बहने रेंडी , डोना और एरियल , न्यूयॉर्क के डाउनटाउन में डोब्स फेरी नाम के एक छोटे से गांव में पले बड़े थे। जकरबर्ग के पिता के शब्दो मे , मार्क जुकरबर्ग  बचपन से ही स्ट्रॉग विलपावर वाले और मजबूत सक्स थे। 

वो कहते है , "कुछ बच्चो के लिए , उनके सवालो का जवाब हा या ना में दिया जा सकता है , लेकिन अगर  मार्क कुछ मांगे तो , हा कहना तो काफी था , लेकिन ना का मतलब बहुत कुछ होता था।  "  अगर आप उससे ना कहना चाहते है , तो बेहतर हॉगा अपने न कहने की वजह , उसके पीछे का सच , मतलब और लॉजिक को अपने साथ तैयार रखिये। हमे लगता था कि एक दिन वह वकील बनेगा और जुरी को अपनी बातों से मनवायेगा। 

read this  -> who moved my cheese book summery in hindi

 > BABYLON KA SABSE AMIR AADMI BOOK SUMMERY IN HINDI

think and grow rich book sumerry in hindi 

मार्क जुकरबर्ग छोटी उम्र से ही कंप्यूटर में इंटरेस्टेड थे। 12 साल की उम्र में ही , उन्होंने अटारी बेसिक के इस्तेमाल से जकनेट नाम का एक मैसेंजिंग प्रोग्राम बनाया। उन्होंने इस मैसेंजिंग एप को अपने पिताजी के डेंटल क्लिनिक के लिए बनाया ताकि वहाँ की रिसेप्शनिस्ट उनके पिताजी को नए पेशेंट्स के बारे में आसानी से बता सके। 

जल्द ही मार्क के फेमिली मेम्बर ने भी एक दूसरे से बात करने के लिए जेकनेट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।  ये बात इंटरेस्टिंग है जहाँ कुछ बच्चे कंप्यूटर पर गेम खेलते है , वही मार्क जुकरबर्ग  ने कंप्यूटर गेम बनाया। अपने दोस्तों के साथ कंप्यूटर गेम बनाना उनकी हॉबी थी।


मार्क जुकरबर्ग के शुरुआती सालो से आप क्या सिख सकते है ?

अपना जुनून , अपना पेशन ढूंढिए और उसमें इन्वेस्ट कीजिये। 

दुनिया के सबसे कामयाब लोगो की तरह , जकरबर्ग ने अपने जुनून के दम पर एक बड़ा एम्पायर खड़ा किया। जिन हॉबीज में हम आपका इंटरेस्ट है , उसे आगे ले जाने की जरूरत है , और उसी पर काम करना चाहिए। अगर आपने अपनी जिंदगी की शुरुवात में एक जुनून पाली है , तो आपको उस पर काम करना चाहिए और एक एक्सपर्ट बनने तक इसका प्रेक्टिस करनी चाहिए।

मार्क जुकरबर्ग की एजुकेशन


 

जकरबर्ग के पेरेंट्स ने कंप्यूटर में उनके इंटरेस्ट को देखकर एक प्राइवेट कंप्यूटर ट्यूटर के तौर पर एक सॉफ्टवेर डेवलोपर डेविड न्यूमेन , को काम पर रखा। डेविड , मार्क को मेंटर करने और गाइड करने के लिये हफ्ते में एक बार उनके घर जाते थे। मार्क ने मर्सी कॉलेज में ग्रेजुएट लेवल के प्रोग्रामिंग कोर्स में एनरोल किया था जबकि तब वो सिर्फ हाई स्कूल के स्टूडेंट ही थे। 

बाद में , न्यू हेम्पशायर के एक जाने माने सेकंडरी स्कूल , फिलिफ्स एक्सेटर अकेडमी जॉइन कर ली। स्कूल में उन्होंने तलवारबाजी का टैलेंट दिखाया और अपने स्कूल की टीम के कैप्टन बने। उन्होंने लिटरेचर की पढ़ाई की जिसमे उन्होंने एक्ससिलेंट परफॉर्मेन्स दिखाया और कॉमिस्क्स में डिप्लोमा किया। लेकिन मार्क का कंप्यूटर में इंटरेस्ट बना रहा और नए प्रोग्राम बनाने पर जोर देते रहे।  

Try amazon prime , one month free trial ---.     इसके बारे में पढे

Try amazon business , one month free trial --    इसके बारे में पढे

Try Amazon audible , one month free trial --   इसके बारे में पढे

हाई स्कूल के दौरान , उन्होंने अपने दोस्त एडम डी एंजलो के साथ सिनेफ्स नाम का एक mp3 प्लेयर डेवेलोप किया। ये यूनिक सॉफ्टवेयर , मशीन लर्निंग के कांसेप्ट को यूज़ करके किसी भी यूज़र्स द्वारा कम्प्यूटर पर चलाये गए सभी गानो को ट्रैक करता था। AOL और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कम्पनीज ने सिनेफ्स को खरीदने में इंटरेस्ट दिखया और मार्क को हायर करने की कोसिस की लेकिन मार्क ने मना कर दिया। 

हार्वर्ड के दिन 

जकरबर्ग ने 2002 में एक्सेटर से ग्रेजुएशन किया और फेमस हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। इस वक्त तक उन्होंने एक जाने माने प्रोग्रामिंग एक्सपर्ट की रेपुटेशन हासिल कर ली थी। हार्वर्ड में उन्होंने सायकोलोजी और कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की। अपने सेकंड ईयर में मार्क जुकरबर्ग ने कोर्समैच नाम का एक सॉफ्टवेयर बनाया। हार्वर्ड में पढ़ाई के दौरान जकरबर्ग की बनाई गई एक दूसरी वेबसाइट फेसमैच बहुत पॉपुलर हुई थी। 

जल्द ही यूनिवर्सिटी ने इस साइट को ब्लॉक कर दिया जो आगे जाकर फेसबुक बनी थी , क्योंकि स्टूडेंट्स ने शिकायत की थी उनकी प्राइवेसी कोम्प्रोमाईज़ हुई थी और उनके फोटोज को उनकी परमिशन के बिना ही फेसमैच पर डिस्प्ले किया गया। उनकी पिछले कामो की वजह से उनके कॉलेज की तीन साथियो ने हारवर्ड कनेक्शन नाम के एक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर काम करने के लिए कॉन्टेक्ट किया। 

कामयाबी रातो रात नही मिलती

हालांकि , ऐसा लग सकता है कि मार्क जुकरबर्ग लकी थे कि उनकी कैसुअल प्रोजेक्ट एक अरब डॉलर कम्पनी में बदल गई। लेकिन ऐसा नही है। सच तो यह है कि मार्क जुकरबर्ग छोटी उम्र से ही इस दिन की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने प्रोग्रामिंग प्रोजेक्ट्स पर काफी फोकस और मजबूती से काम करना जारी रखा। और इस कारण वो इतने सक्सेसफुल हुए।

फेसबुक का जन्म 



19 साल की उम्र में , जकरबर्ग ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर "द फेसबुक" नाम का एक कामयाब वेबसाइट बनाया। इस वेबसाइट पर , यूज़र्स ने अपने प्रोफाइल बनाये , फ़ोटो उपलोड किये और दूसरे यूज़र्स के साथ चैट किया। उन दिनों , फेसबुक सिर्फ हार्वर्ड के स्टूडेंट्स के लिए ही अवेलेबल था। जकरबर्ग और उनके दोस्तों ने जून 2004 तक हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अपने डोरमिट्री से फेसबुक पर काम किया। 

जकरबर्ग ने फेसबुक के वायरल असर को तब पहचाना जब हार्वर्ड में आधे अंडरग्रेजुएटस ने इसके लांच के पहले महीने के अंदर वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन किया। जल्द ही जकरबर्ग ने अपने शानदार आईडिया पर फुलटाइम काम करने के लिए कॉलेज छोड़ दिया और कैलिफोर्निया के पालो आल्टो में अपनी कंपनी का हेडक्वार्टर बनाया। फेसबुक पर यूज़र्स तेजी से बढ़े और 2004 के आखिर तक फेसबुक पर 10 लाख लोग रजिस्टर हो चुके थे। 

kya aapne ise padha - 1. how to sell without selling

                                   2. contegious book summery in hindi

                                    3. you fooled by randomness summery in hindi 

जकरबर्ग ने आइवी लीग स्टूडेंट्स के लिए रजिस्ट्रेशन खोला और अगले ही साल , एक वेंचर कैपिटल फर्म एक्सेल पार्टनर्स ने इस बढ़ते नेटवर्क में 12.7 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया। जिससे फेसबुक को बहुत बढ़ावा मिला        | शुरुवात में , हार्वर्ड के स्टूडेंट्स के लिए खासकर बनाया गया फेसबुक , जल्द ही कैंपस के बाहर फेल गया। कुछ ही टाइम में सभी स्टूडेंट्स को फेसबुक पर रजिस्ट्रेशन करने का परमिशन दिया गया। 

2005 के मई के आखिर तक रजिस्टर्ड यूजर के नम्बर 5.5 मिलियन तक बढा दिया गया। बहुत सी कम्पनियो ने इस पॉपुलर वेबसाइट में अपने एड्स दिखाने में इंटरेस्ट दिखाया। याहू जैसी बड़ी कम्पनीज और एम टीवी नेटवर्क्स ने जकरबर्ग को बहुत सारा पैसा ऑफर किया। लेकिन , वो इसे बेचना नही चाहते थे और वेबसाइट के एक्सपैंड पर फोकस करना चाहते थे। इसीलिए मार्क ने सब आफर को ठुकरा दिया। 

उन्होंने अपनी कम्पनी को डेवलोपेर्स के लिए खोल दिया जिन्होंने साइट के फीचर को बढ़ाने का काम किया। फेसबुक इतनी जल्दी आगे बढ़ा जो बहुत ही हैरान कर देती थी। 2006 के आखिर तक इसके 12 मिलियन यूज़र्स थे और 2009 के आखिर आते आते तक फेसबुक यूजर्स की पापुलेशन 350 मिलियन हो गयी थी। फेसबुक को 18 मई 2012 को पब्लिक किया गया। 

पब्लिक होने का मतलब है कि एक प्राइवेट कंपनी इनिशियल पब्लिक ऑफर {IPO} देकर पब्लिक में ट्रेंड करने और ओनरशिप वाला बिज़नस बनना। पब्लिक होने के पीछे बिज़नस को बढ़ाने के लिए कैपिटल जुटाना था। फेसबुक के (IPO) ने 16 बिलियन डॉलर का एक बहुत बड़ा अमाउंट जुटाया , जो कि टेक इंडस्ट्री में के हिस्ट्री में सबसे बड़ा IPO था। इसकी वजह से मार्क रातोरात दुनिया के 29 वे सबसे अमीर आदमी बन गए। 

अगले ही दिन , जुकरबर्ग और उनकी यूनिवर्सिटी से उनकी गर्लफ्रैंड रही प्रिसिला चेन ने अचानक शादी कर ली। उन्होंने मेहमानों को बताया कि वे सिर्फ प्रिसिला के मेडिकल स्कूल से ग्रेजुएशन होने का सेलेब्रेशन करेंगे , लेकिन उन्होंने सबको हैरान कर दिया जब उन्होंने उस छोटे से फंक्शन में अपने दोस्तों और फैमिली के सामने शादी कर ली।

फेसबुक को उसके कॉम्पीटिट्र्स से कोन सी बात अलग करती है ?



इस वेबसाइट की खास बात ये थी कि इसमें यूज़र्स को अपनी असली पहचान और ऑथेंटिक ईमेल देना जरूरी था ताकि ये पक्का हो सके कि किसी ने नकली आईडी नही बनाई है।  जकरबर्ग बस यही चाहते थे कि लोग अपनी असलियत के साथ अपनी लाइफ को बाकी दुनिया के साथ शेयर करे। फेसबुक के कॉम्पीटिट्र्स जैसे फ्रेंडस्टर और माइस्पेस दूसरे सोशल नेटवर्क ने अपने यूजर प्रोफाइल सही या नही , उस पर ध्यान नही दिया।

read this -- RICH DAD POOR DAD BOOK SUMMERY IN HINDI

THINK AND GROW RICH BOOK SUMMERY IN HINDI

 THE SECRET BOOK SUMMERY IN HINDI 

यूज़र्स की आइडेंटिटी क्रिएटिव और मजेदार हो सकती है , लेकिन फेसबुक इस मायने में अलग था कि यूज़र्स को अपनी असली पहचान और बेकग्राउंड शेयर करना जरूरी था। जकरबर्ग ने कहा , "हम दुनिया मे मौजूद सभी चीजो का मैप करने की कोशिश कर रहे है " और , कहते है "दुनिया मे , भरोसा जिंदा है। " मुझे लगता है कि इंसान के तौर पर हम अपनी दुनिया को , आस पास के लोग और रिश्तों के दम पर बाँटकर देखने की कोसिस करते है। 


दोस्तो ये मार्क जुकरबर्ग की बायोग्राफी यही पर खत्म होती है और आप मार्क जुकरबर्ग के बारे में और जानना चाहते है तो में नीचे लिंक दे दूंगा जिस पर आप क्लिक करके उसे पढ़ सकते है। 

ARTCLE 1

ARTICLE 2

ARTICLE 3

अगर आपको ये अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों को इसे शेयर करना न भूले। और आपको ये केसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं। मिलते है फिर एक और नई बूक समरी में , तब तक अपना ख्याल राखिये। धन्यवाद।

 recent post -- the fortune cookie principal book summery in hindi

                        made to stick book sumery in hindi

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ